Myths and Facts about Women's Breast Cancer - Amazing Myths and Facts

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Tuesday, November 12, 2019

Myths and Facts about Women's Breast Cancer




Myths and Facts about Women's Breast Cancer

महिलाओं के स्तन कैंसर संबंधित मिथ और फैक्ट


महिलाओं में स्तन कैंसर (breast cancer) को लेकर अनेकों गलतफहमियां है. स्तन कैंसर (breast cancer) महिलाओं में सबसे ज्यादा फैलने वाला कैंसर है. स्तन कैंसर (breast cancer) की गलतफहमियां को लेकर हर साल लाखों महिलाएं अपनी जान गंवा देती हैं. महिलाओं को स्तन कैंसर (breast cancer) को लेकर गलतफहमियां पालने की बजाए आज breast cancer symbol (स्तन कैंसर के लक्षण) जानना और इसकी पहचान करना जरुरी है. ताकि समय से breast cancer treatment (स्तन कैंसर का इलाज) हो सके. डाक्टर कहते हैं, स्तन कैंसर से डरने नहीं लड़ने की जरुरत है. आईये जानते हैं, महिलाओं में स्तन कैंर को लेकर कुछ मिथ और उसके फैक्ट के बारे में.

1. किसी महिला की मां स्तन कैंसर का जेनेटिक इतिहास है तो उसे कैंसर होना निष्चित है?


If a woman's mother has a genetic history of breast cancer, she is determined to have cancer?

(Myth) ग़लतफ़हमी

अनेक लोगों में ग़लमफ़हमी है कि परिवार में किसी को स्तन कैंसर रहने पर उन्हें कैंसर होना निश्चित है।

(Facts)  हक़ीक़त

स्तन कैंसर को लेकर लोगों में अनेक तरह की ग़लतफ़हमी है, इसके चलते महिलाएं काफी तनाव में रहती है। वैज्ञानिकों द्वारा किए गए अनुसंधान में पता चला है कि पारिवारिक इतिहास रहने पर कैंसर जैसी समस्या उत्पन्न हो सकती है पर यह सौ प्रतिशत नहीं होती है। ऐसी समस्या सिर्फ 50-60 फीसदी महिलाओं को हो सकती है।
 
अमेरिकन कैंसर सोसायटी के द्वारा किए गए शोध के मुताबिक माता या पिता का यदि ब्रेस्ट कैंसर का फैमिली इतिहास रहा है, तो जीन में ब्रेस्ट कैंसर खानदानी असर की वज़ह से आ सकता है, लेकिन महिलाओं की तुलना में स्तन कैंसर पनपने का खतरा कम रहता हैं।

कई देशों में किए गए रिर्पोट के अनुसार, ऐसी महिलाएं जिनके जीन में आनुवंशिक गड़बड़ी ‘बीसीआरए’ (BCRA) और ‘बीसीआरए-2’ (BCRA-2) होती है, उनमें से 50 से 60 फीसदी महिलाओं में ही ब्रेस्ट कैंसर पनपता है।
ब्रिटिश मेडिकल वैज्ञानिकों के अनुसार जिन महिलाओं के तीन सगे रिश्तदारों जिनमें मां या बहनों को लगातार दो पीढ़ियों में ब्रेस्ट कैंसर हुआ है, ऐसी में महिलाओं के जीन में गड़बड़ी आने की संभावना ज्यादा रहती है। इस तरह का इतिहास होने पर सावधानी की जरूरत होती है। ऐसे में स्तन पर किसी भी तरह का बदलाव या गड़बड़ी महसूस करने पर तुरंत डाॅक्टरी जांच द्वारा पता लगा लेना चाहिए। इससे गंभीर समस्या से बच सकती है।

2. स्तनों में असमानता होना यानी ब्रेस्ट कैंसर का खतरा?


Inequality in breasts, that is, the risk of breast cancer?

(Myth) ग़लतफ़हमी

अनेक लोगों में ग़लमफ़हमी है कि दोनों breast (स्तनों) के साइज में असमानता होने का मतलब ब्रेस्ट कैंसर होना। इस ग़लतफ़हमी की वज़ह से वे जीवन से काफी डरी-डरी-सी रहती है।

(Facts)  हक़ीक़त

महिलाओं को पहली बात यह जान लेना चाहिए कि दोनों breast  (स्तन) समान नहीं होते हैं। इसलिए यह भ्रम मन से पूरी तरह से निकाल देना चाहिए कि स्तनों के साइज में फर्क होने का मतलब है कैंसर की शिकायत हो जाना। अनेक मामलों में देखा गया है दोनों स्तन के साइज में काफी फर्क होने के बाद भी उनमें स्तन कैंसर जैसी समस्या नहीं पाया गया।

यूनिवर्सिटी आॅफ लीवरपूल के शोधकर्ताओं ने पिछले 30 सालों में सैकड़ों मेमोग्राफी की रिर्पोट के अध्ययन कर यह निष्कर्ष निकला है कि महिलाओं के स्तनों की असमानता के कारण ब्रेस्ट कैंसर की समस्या उत्पन्न होती है ऐसा नहीं है। रिर्पोट के अनुसार बहुत ही कम मामलों में ऐसा देखा गया है। जब breast  (स्तन) के साइज में गड़बड़ी होने पर कैंसर की शिकायत हुई हो।

अध्ययन के प्रमुख डाॅ. डाएन स्कट के मुताबिक, महिलाओं के दोनों breast  (स्तन) में थोड़ा-सा अंतर जरूर होताहै। यदि यह अंतर काफी हो तो ब्रेस्ट कैंसर होने की संभावना हो सकती है, लेकिन इस बारे में पूरी तरह से विश्वास के साथ नहीं कहा जा सकता है। क्योंकि अधिक असमानता होने पर भी ब्रेस्ट कैंसर का असर बहुत कम पाया गया है।

3. ब्रा नहीं पहनना चाहिए इससे स्तन कैंसर हो सकता है?


Should not wear a bra, it can cause breast cancer?

(Myth) ग़लतफ़हमी
अनेक लोगों में ग़लमफ़हमी है कि  ब्रा एक आधुनिक पोशाक है, इसके पहनने से स्तन कैंसर की समस्या उत्पन्न हो जाती है। ब्रा पहनने की बजाय कपड़ों की पट्टी बांधना अच्छा होता है।

(Facts)  हक़ीक़त

ब्रा को आधुनिक पोशाक मानने वाली महिलाओं को यह जान लेना चाहिए कि ब्रा का इतिहास काफी पुराना है। अजंताएलोरा की गुफाओं में बनें मूर्ति में ब्रा जैसे पोशाक की जानकारी मिलती है। इसलिए इसे आधुनिक पोशाक कह कर ठुकराना नहीं चाहिए।

वैज्ञानिकों द्वारा किए गए अनुसंधान में पता चला है कि स्त्रियों को  अपने स्तन को सहारा देने के लिए ब्रा पहनना जरूरी है। स्तन को सही तरीके से सहारा नहीं मिलने से स्तन में गांठ पड़नें की समस्या उत्पन्न हो सकती है। स्तन के कोमल टिश्यु में गांठ उत्पन्न होने से स्तन कैंसर होने की संभावना बढ़ जाती है। जहां तक ब्रा की बजाय कपड़ों की पट्टी बांधने की बात है, यह स्तन के लिए अधिक नुकसानदायक होता है।

अमेरिका के दो मानव वैज्ञानिकों ‘सिडनी राॅस’ सिंगर और सोमा ग्रिस मेजर द्वारा लिखी पुस्तक ‘ड्रेस्ड टू किल: द लिंक बिटविन बे्रस्ट कैंसर एंड ब्राज’ में  दावा है कि ‘टाइट ब्रा’ पहनने से लिम्फग्लैंड में सिकुड़न आती है, जिसकी वजह से जहरीले तत्व बे्रस्ट टिश्युओं में जमा होने लगते हैं, नतीजतन वे कैंसर का कारण बनते हैं। ब्रा की बजाय कपड़ों से स्तन को बांधने से लिम्फ ग्लैंड में सिकुड़न आ जाती है, जिससे कैंसर होने की संभावना बढ़ जाती है।

4. स्तन की जांच के लिए ‘mammogram' (मेमोग्राम) से कोई लाभ नहीं मिलता है?


Is there no benefit from mammogram for breast examination?

(Myth) ग़लतफ़हमी

अनेक महिलाओं में यह भ्रम है कि स्तन कैंसर की जांच के लिए mammogram (मेमोग्राफी) कारगर उपाय नहीं है।

(Facts)  हक़ीक़त

पिछले तीन से अधिक दशकों से स्तन कैंसर के लिए mammogram test (मेमोग्राफी टेस्ट) किए जा रहे हैं। अब तक की रिर्पोट के अनुसार मेमोग्राफी स्तन कैंसर की जांच के लिए सबसे अच्छा उपाय है। मेमोग्राफी के रिजल्ट 99 प्रतिशत तक सही मिलता है। इसके बावजूद अनेक महिलाओं में यह ग़लतफ़हमी है कि यह कोई सही और कारगर नहीं होता है।

इस बारे में डेनिश शोधकर्ताओं का कहना है, मेमोग्राफी टेस्ट को शंका से देखना उचित नहीं है। इसमें सौ प्रतिशत रिजल्ट सही मिलता है। यह बात अलग है दो टेस्ट के बीच के समय में यदि शरीर में किसी प्रकार की समस्या उत्पन्न हो जाये तो कहा नहीं जा सकता।

रेक्सास यूनिवर्सिटी के क्लिनिकल कैंसर प्रीवेंशन की मेडिकल डायरेक्टर डाॅ. पेरेस बी. बेवर्स का कहना है, मेमोग्राफी ब्रेस्ट की जांच करने का सबसे बेस्ट तरीका है।

5. मेमोग्राम से रेडिएशन का खतरा होता है, इससे बचना चाहिए?


There is a risk of radiation from mammograms, should it be avoided?

(Myth) ग़लतफ़हमी

अनेक लोगों में ग़लमफ़हमी है कि mammogram (मेमोग्राफी) कारवाने से महिलाएं रेडिएशन का शिकार हो जाती है जिससे कैंसर के पनपने का अधिक भय हो जाता है।

(Facts)  हक़ीक़त

जैसा की बताया जा चुका है mammogram (मेमोग्राफी) स्तन कैंसर के लिए एक अच्छा उपाय है। इससे बावजूद महिलाओं में यह भय है कि mammogram (मेमोग्राफी) की वज़ह से रेडिएशन की संभावना रहती है।

विशेषज्ञों के अनुसार 90 के आखिरी दशक में ऐसी समस्या उत्पन्न हो जाती थी। आज ऐसी स्थिति नहीं है। उस वक्त नियमित रूप से mammogram (मेमोग्राफी) करवाने से महिलाएं रेडिएशन के संपर्क में आ जाती थी,  जिसकी वजह से डीएनए (DNA) क्षतिग्रस्त होने के साथ-साथ कैंसर पनपने का खतरा खासतौर से युवा महिलाओं में बढ़ जाता था।

लेकिन आजकल जांच के लिए लायी जाने वाली मशीने पहले की तुलना में काफी कम रेडिएशन होता है, जिसकी वज़ह से रेडिएशन की संभावना ना के बराबर होती है। ताजा रिर्पोट के अनुसार  नियमित रूप से ब्रेस्ट कैंसर से मरने के खतरे में 35 फीसदी की कमी आयी है।

6. किसी को ब्रेस्ट कैंसर हो जाता है, तो उसे अपने स्तन गंवाने पड़ते हैं?


If someone gets breast cancer, does he have to lose his breasts?

(Myth) ग़लतफ़हमी

ब्रेस्ट कैंसर होने की बात सुनकर महिलाएं घबरा जाती है। अनेक लोगों में ग़लमफ़हमी है कि ब्रेस्ट कैंसर होने पर स्तन गंवाने पड़ते हैं।

(Facts)  हक़ीक़त

ब्रेस्ट कैंसर चिंताजनक समस्या भले ही हो। आजकल इसके जांच व माकूल इलाज होने से समस्या कम हो गयी है।  मेडिकल साइंस में दिनों दिन हो रहे विकास, अनुसंधान व सुधार से अब स्तन कैंसर की वज़ह से पूरे स्तन को कटवाना (Mastectomy) जरूरी नहीं रह गया हैं।

यदि बीमारी की शुरूआत में इसकी पहचान हो जाने पर बिना breast cancer surgery (आॅपरेशन)  किए इसे कंट्रोल किया जा सकता है।

लम्पेक्टाॅमी (Lumpectomy) नामक तकनीक के जरिए शुरूआती चरण में इसकी इलाज कर लिया जा सकता है। ऐसे में पूरा स्तन काटने के बजाय सिर्फ प्रभावित स्थान यानी स्तन की गांठों को निकाल कर इससे छुटकारा पाया जा सकता है।

इसके बाद बची-खुची कसर को मिटाने के लिए स्तन सेल्स पर  रेडियोथेरेपी देकर कैंसर से छुब्कारा पा लिया जाता है। इसे आम बोलचाल की भाषा में ‘बिजली से सेंकाई’ करना कहते है।

पूरा स्तन कटवाने की नौबत उस वक्त आती है जब टयूमर ‘बेस्ट वाल’ के करीब हो, बहुत बड़ा हो या फिर टयूमर ने फैलना शुरू कर दिया हो। इसलिए समय रहते इस बारे में ध्यान देना चाहिए, जिससे स्तन गंवाना न पड़े।

7. स्तनों का स्व-परीक्ष्ण ज्यादा फायदेमंद नहीं होता?


Breast self-examination is not beneficial?

(Myth) ग़लतफ़हमी

अनेक लोगों में ग़लमफ़हमी है कि स्तनों का स्वयं परीक्षण (Self-Examination) करने से कोई फायदा नहीं होता है।

(Facts)  हक़ीक़त

स्तनों का स्व-परीक्षण महिलायें इसलिए करती है कि उन्हें यह पता चल सके कि उनके स्तन में कोई गांठें (गिल्टियां) उत्पन्न तो नहीं हो रही है?

यदि महिलाएं स्व-परीक्षण ठीक से करती रहे तो उसे यह पता चल जाता है कि उसके स्तन में गांठ उत्पन्न हो गई है। जैसे ही उसे गांठ के बारे में पता चलता है, वह डाॅक्टर के पास जाकर इसके बारे में अधिक जानकारी ले सकती है। मेमोग्राफी करवा कर इस बारे में पूरा पता लगा सकती है।

यदि महिला ठीक तरह से स्व-परीक्षण नहीं कर पाती है तो इसका लाभ उसे नहीं मिल सकता। ऐसे में वह उसे बेकार का परीक्षण कह कर, इसे टाल देती है।

विशेषज्ञों के अनुसार स्तनों का स्व-परीक्षण एक अच्छा व सरल परीक्षण है इसे सही तरीके से करके स्तनों के गांठ का शुरूआती चरण में पता लगाया जा सकता है।

यदि महिला स्व-परीक्षण नहीं करती है तब उसे स्तनों के गांठ का शुरूआती चरण में पता नहीं चलेगा। नतीजन उसे समस्या से दो चार होना पड़ सकता है।

अमेरिकन कैंसर सोसायटी की डायरेक्टर डां. डेबो सेस्लां का कहना है कि महिलाओं को ‘सेल्फ ब्रेस्ट टेस्ट’ करते रहना चाहिए। यह स्वयं जागरूकता की एक अच्छी पहल है।

यदि महिलाएं स्वयं अपने स्तनों की जांच करना सीख लें तो यह बेशक एक बेहतर शुरूआत है।
स्तनों में असामान्य बदलाव नजर आने पर महिलाओं को तुरंत डाॅक्टरी सलाह लेनी चाहिए।


8. स्तन कैंसर सिर्फ महिलाओं को ही होता है?


Breast cancer occurs only to women?

(Myth) ग़लतफ़हमी

अनेक लोगों में ग़लमफ़हमी है कि स्तन कैंसर सिर्फ महिलाओं को होती है।

(Facts)  हक़ीक़त

यह बिल्कुल गलत धारणा है कि पुरूषों को स्तन कैंसर (male breast cancer) की शिकायत नहीं होती है। सबसे बड़ी दिक्कत यही है कि ज्यादातर पुरूष यह मानने के लिए तैयार ही नहीं होते हैं कि पुरूषों को भी स्तन कैंसर (male breast cancer) की समस्या हो सकती है। यहां तक कि कई डाॅक्टर भी पुरूषों में स्तर कैंसर (male breast cancer) की पहचान नहीं कर पाते है।

विशेषज्ञों के मुताबिक ज्यादातर पुरूष स्तन की गांठ को नजर अंदाज कर देते हैं, जिसकी वज़ह से उन्हें स्तन कैंसर के पनपने की संभावना भी अधिक होती है। इतना ही नहीं, पुरूष तो उन तीन बड़े जोखिम लक्षणों पर भी गौर नहीं करते, जिन पर ध्यान देना बेहद जरूरी होता है। वे जोखिम हैं - उम्र साठ साल या उससे अधिक होना, बीमारी का पारिवारिक इतिहास होना यानी परिवार में किसी संगे संबंधी को कैंसर होना, चाहे वह स्त्री हो या पुरूष और बहुत ज्यादा मोटापा।

जबकि महिलाएं इस मामले में ज्यादा जागरूक होती है। वह अपने स्तन की नियमित जांच करवाती रहती है। छोटी सी भी गांठ दिखाई देने पर डाक्टर से सलाह लेने पहुंच जाती है।

ध्यान देने वाली बात यह है कि अतिरिक्त वजन पुरूष के हार्मोन लेवल में गड़बड़ी पैदा कर देता है। यदि उपरोक्त तीनों में से एक भी जोखिम लक्षण मौजूद हो, तो उन्हें सावधान हो जाना चाहिए। उन्हें भी महिलाओं की तरह हर माह स्तनों का स्व परीक्षण जरूर करना चाहिए। बेहतर होगा, जब आप नहा रहे हो, तभी निपल के नीचे और सीने पर इधर-उधर टटोल कर देखें कि कहीं कोई असामान्य लक्षण तो नहीं है।

यदि कोई मटर के दाने के बराबर छोटी व कठोर गांठ महसूस होती हैं तो फौरन डाॅक्टर से संपर्क करें।
यदि गांठ नहीं भी हो और निपल से किसी तरह का स्त्राव या खून का रिसाव हो रहा हो तो, भी फौरन डाॅक्टरी जांच करवाएं। वह कैंसर का सिग्नल हो सकता है।

महिलाओं में स्तन कैंसर के प्रमुख लक्षण 

- स्तन कैंसर में निप्पल पर परत या पपड़ी सी बन जाती है
- निप्पल्स अंदर की ओर धंस जाते हैं।
- स्तन पर लालिमा या सूजन आ सकती है
- स्तन की गोलाई में कोई बदलाव जैसे एक का दूसरे की अपेक्षा ज्यादा उभर आना
- स्तन की त्वचा पर कोई फोड़ा या अल्सर जो ठीक न होता हो
स्तन कैंसर के कारण
- बच्चों को स्तनपान नहीं करवाने से स्तन कैंसर हो सकता है
- शराब, सिगरेट पीने से स्तन कैंसर हो सकता है.
- कम उम्र में स्तन मर्दन करवाने और सेक्स संबंध बनाने से स्तन कैंसर हो सकता है.
- अधिक डार्क रंग की ब्रा पहनने से स्तन कैंसर हो सकता है.
- लंबे समय तक स्तन को बांधे रखने से स्तन कैंसर हो सकता है.
- स्तन पर गंभीर चोट लगने से स्तन कैंसर हो सकता है.
- स्तन पर दांत गड़ाने से स्तन कैंसर हो सकता है.

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